अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन नगर है। यह नगर सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है। अयोध्या हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।
अयोध्या की स्थापना
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या की स्थापना सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी। वैवस्वत मनु के 10 पुत्र थे। जिनके नाम इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे। माना जाता है कि इन सब पुत्रो में सिर्फ इक्ष्वाकु के कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ।
अयोध्या का प्राचीन काल
अयोध्या प्राचीन काल में एक शक्तिशाली राज्य था। इस राज्य की राजधानी अयोध्या थी। अयोध्या के राजा सूर्यवंशी राजाओं के वंशज थे। अयोध्या प्राचीन काल में एक शक्तिशाली राज्य की राजधानी थी। यह राज्य कोसल के नाम से जाना जाता था। कोसल राज्य की स्थापना अयोध्या के प्रथम राजा इक्ष्वाकु ने की थी। इक्ष्वाकु के बाद उनके वंशज राजा दशरथ ने अयोध्या पर शासन किया। राजा दशरथ के पुत्र भगवान राम थे।
भगवान राम विष्णु के अवतार हैं। हिंदू धर्म में, विष्णु एक प्रमुख देवता हैं जिन्हें सर्वोच्च भगवान माना जाता है। विष्णु के दस प्रमुख अवतार हैं, जिनमें राम भी शामिल हैं।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इस स्थान पर एक भव्य मंदिर था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1528 में तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी।
मस्जिद का निर्माण
बाबर के सेनापति मीर बाकी ने इस मस्जिद का निर्माण किया था। मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा गया था। मस्जिद का निर्माण लाल पत्थर से किया गया था और इसमें तीन गुंबद थे।
मंदिर निर्माण का प्रयास
1850 के दशक में, हिंदू समुदाय ने इस स्थान को मुक्त करने और वहाँ एक नया मंदिर बनाने के लिए प्रयास शुरू किए। 1949 में, कुछ हिंदू कार्यकर्ताओं ने मस्जिद में एक रामलला की मूर्ति स्थापित कर दी।
मंदिर विध्वंस
6 दिसंबर, 1992 को, एक विशाल हिंदू भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। इस घटना से देशभर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी।
मंदिर निर्माण का फैसला
2010 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायालय ने बहुमत से निर्णय दिया कि विवादित भूमि को हिंदुओं को सौंप दिया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा कि वहाँ से रामलला की मूर्ति को नहीं हटाया जाएगा।
मंदिर निर्माण
1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद से, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण एक प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन गया था। 2020 में, केंद्र सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाया।
मंदिर निर्माण का शिलान्यास
5 अगस्त, 2023 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास किया। मंदिर निर्माण की लागत ₹500 करोड़ आंकी गई है।
मंदिर निर्माण की प्रगति
मंदिर निर्माण की प्रगति तेजी से हो रही है। मंदिर के निर्माण के लिए 2000 से अधिक श्रमिकों को लगाया गया है। मंदिर का निर्माण 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं:
1. मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है।
2. मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
3. मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे।
4. मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह), तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा।
5. मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप
6. खंभों व दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
7. मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा।
8. दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी।
9. मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी।
10. परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा।
11. मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
12. मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
13. दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं तथा वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है। 14. मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है।
15. मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है।
16. मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
मंदिर निर्माण का महत्व
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। मंदिर के निर्माण से हिंदू समुदाय को एक बड़ी राहत मिली है। मंदिर के निर्माण से देश में धार्मिक सद्भाव और सौहार्द को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
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